मरघट्टी रोड घोटाला: भ्रष्टाचार की ‘परत’ अब विधानसभा में उखड़ी विधायक के कड़े तेवरों से प्रशासन में हड़कंप

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मीडिया की खबर और कांग्रेस की शिकायत पर लगी मुहर, सदन में गूंजी 10 लाख के ‘अदृश्य’ काम की गूंज

बिना मुरूम-प्लास्टिक के डकार गए लाखों रुपये; क्या दोषियों पर गिरेगी गाज या फाइल होगी दफन?

संवाददाता संदीप कश्यप शक्ती/हसौद। सत्ता की हनक और अफसरों की जुगलबंदी ने ग्राम पंचायत मरघट्टी की सीसी रोड को भ्रष्टाचार का ऐसा नमूना बना दिया है, जिसकी गूँज अब छत्तीसगढ़ विधानसभा की दहलीज तक जा पहुँची है। जिस सड़क निर्माण में गड़बड़ी को लेकर क्षेत्रीय अखबारों ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी और ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष कुशल कश्यप ने कलेक्टर के चक्कर काटे थे, उसी मुद्दे पर अब क्षेत्रीय विधायक बालेश्वर साहू ने ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

भ्रष्टाचार का जादू: काम नहीं और बन बिल

मरघट्टी में 10 लाख की लागत से बन रही सीसी रोड में भ्रष्टाचार का ऐसा ‘जादू’ चला कि मिट्टी खुदाई, मुरूम भराई और प्लास्टिक बिछाने का काम जमीन पर तो दिखा नहीं, लेकिन सरकारी कागजों में हजारों रुपये स्वाहा हो गए,मिट्टी खुदाई: ₹25,160 का फर्जीवाड़ा,मुरूम व कुटाई: ₹45,490 की बंदरबांट,माइक्रो पॉलिथीन: ₹13,471 का कागजी खर्च।हैरत की बात यह है कि एस्टीमेट के अनुसार न तो सड़क की लंबाई पूरी है और न ही मोटाई। सड़क बनने के साथ ही अपनी बदहाली की कहानी खुद बयां कर रही है।

विधायक के तीखे सवाल: से किसे बचा रहे अफसर?

विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से विधायक बालेश्वर साहू ने सीधे तौर पर प्रशासनिक मिलीभगत पर उंगली उठाई है। उन्होंने सदन में दो टूक कहा कि सितंबर महीने में जिला प्रशासन और जिला सीईओ को लिखित शिकायत देने के बाद भी आज तक जांच पूरी क्यों नहीं हुई? विधायक ने इसे ‘अधिकारियों की संलिप्तता’ करार देते हुए दोषियों के खिलाफ समय सीमा के भीतर कड़ी कार्रवाई और रिकवरी की मांग की है।

जन आंदोलन की सुलगती चिंगारी

इधर, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी हसौद के अध्यक्ष कुशल कश्यप ने साफ कर दिया है कि यह लड़ाई अब थमने वाली नहीं है। उन्होंने कहा, “हमने साक्ष्यों के साथ भ्रष्टाचार की पोल खोली है। अगर अब भी लीपापोती की गई, तो मरघट्टी की जनता सड़क पर उतरकर जन आंदोलन करेगी, जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।”

बड़ा सवाल: क्या अब भी मौन रहेगा प्रशासन?

जिले के आला अधिकारी भले ही जांच की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हों, लेकिन विधानसभा में मामला उठने के बाद अब जिला प्रशासन की साख दांव पर है। जनता पूछ रही है कि विकास के नाम पर जेब भरने वाले इन ‘सफेदपोशों’ और भ्रष्ट इंजीनियरों पर एक्शन कब होगा?

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