
•पर्यावरण-संरक्षित क्षेत्रों में भूमिगत केबल के उपयोग हेतु नियमों का पालन।
•डूमरघाट सहित संबंधित ग्रामों के 1259.37 लाख के प्राक्कलन को स्वीकृति का इंतजार।
•योजना चयन, बजट एवं वन अनुमति उपरांत ही होगा पारंपरिक विद्युतीकरण कार्य।
गरियाबंद 03 दिसम्बर 2025/ सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी ऑथोरिटी रेगुलेशन, 2023 प्रकाशन तिथि 08 जून 2023 के प्रावधानों के अनुसार संरक्षित क्षेत्रों राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभ्यारण्य संरक्षण रिजर्व, सामुदायिक रिजर्व एवं वन्यजीव गलियारों के आसपास पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों से गुजरने वाली 33 केव्ही एवं इससे निम्न वोल्टेज की विद्युत लाईनों हेतु केबल भूमिगत केबल का उपयोग करने के निर्देश दिए गए है। इसके लिए ग्रामों का सर्वे कर लिया गया है। सीएसपीडीसीएल के कार्यपालन अभियंता ने बताया कि ग्राम डूमरघाट में भूमिगत केबल से विद्युतीकरण के लिए प्राक्कलन की कुल राशि 1259.37 लाख रुपये अनुमानित है। उक्त अनुमानित राशि में एफसीए के लिए वर्तमान में लागू राशि 837.9 लाख रुपये भी सम्मिलित है तथा विद्युत कंपनी द्वारा वर्तमान में लागू शेड्यूल ऑफ रेट 2025-26 अनुसार प्राक्कलन राशि 421.47 लाख रुपये की गणना की गई है। उक्त ग्राम को परंपरागत तरीके से विद्युतीकरण के लिए अत्यधिक बजट, फंड की आवश्यकता होगी। ग्राम डूमरघाट, तौरेंगा एवं जुगाड़ का प्राक्कलन स्वीकृति हेतु उच्च कार्यालय को 06 दिसम्बर 2024 को पत्र प्रेषित किया गया था। जिसे उच्च कार्यालय द्वारा प्रशासकीय अनुमति प्राप्त नहीं होने के कारण 10 दिसम्बर 2024 के माध्यम से वापस किया गया है। गरियाबंद संभाग अंतर्गत सौर ऊर्जा से विद्युतीकृत 53 ग्रामों के परंपरागत तरीके से विद्युतीकरण हेतु 04 अगस्त 2025 के माध्यम से वृत्त कार्यालय को प्रेषित कर दिया गया है।












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