
ठंड मे मानवता की एक पहल,तीन बच्चे गरीबी चेहरे की झलक लिए ठंड से सिकुड़ते नजर आ रहे थे।
उजलराम सिन्हा गरियाबंद/शासकीय कार्यक्रम फायलेरिया नियंत्रण के तहत सम्माननीय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी गरियाबंद एवं माइक्रो फायलेरिया नोडल अधिकारी डा.एस.के. रेड्डी निर्देशानुसार,डा.प्रकाश साहू खंड चिकित्सा अधिकारी देवभोग के मार्गदर्शन में रात्रि कालीन रक्त पट्टी संग्रह करना था।
हमारी टीम ब्लॉक देवभोग के चिन्हित गांव चिचिया पहुंची जिसमें मंजू पात्रे (cho) संतोषी कश्यप,कन्हैया निषाद (mlt) उपेंद्र ठाकुर (Rho) और क्षेत्रीय मितानिन लोग (आशा) तथा मै स्वयं आर.सी.वर्मा प्रभारी (Beto) शामिल था।
कई घरों में 05 साल से 10 वर्ष के बच्चों को सोते समय रक्त पट्टी बनाई गईं जिसमें ठंड के मौसम में सोते बच्चों को उठाना भी दिल में दर्द हो रहा था फिर भी किसी तरह कार्य चलता रहा।
उसी दौरान ग्राम चिचिया टॉवर पारा बदम ध्रुव के घर पहुंचे,वहां दो तीन बच्चों की रक्त पट्टी बनाना था बच्चे सो रहे थे,हम टीम के साथ दरवाजे पर पहुंचे।
दरवाजा खटखटाया आवाज लगाई,युवक ने दरवाजा खोला तो पाया कि बच्चों को लेकर माता पिता जमीन में थोड़ा धान का पैरा डालकर सो रहे थे। उन्होंने बच्चों के ऊपर से ओढ़ा हुआ कपड़ा उठाया तो लगा कि कोई हल्का सा पतला बहुत पुरानी गद्दी थी जो बिल्कुल फट कर जालीनुमा हो चुकी थी जिसमें। हवा आसानी से आरपार हो रही थी।
उसको उठाकर जैसे ही बल्ब की तरफ किया तो पूरा जाली बन चुकी थी कहीं भी गद्दी का नामो निशान नहीं था देखने मच्छरदानी सी लग रही थी।
कार्य करके रात तकरीबन 12 बजे अपने मुख्यालय पर पहुंचे रात को नींद नहीं आई बार बार वही मच्छरदानी वाली गद्दी और उसमें सोए माता पिता के साथ तीन बच्चे गरीबी चेहरे की झलक लिए ठंड से सिकुड़ते नजर आ रहे थे।
मेरी आंखे नम हो गई,मैने अगली सुबह कपड़ों की दुकान पर जाकर एक डबल बेड कम्बल,बच्चों को स्वेटर,और पदम ध्रुव को स्वेटर के साथ उसकी पत्नी को ठंड में ओढ़ने के लिए एक शॉल भेंट कर अपने दिल के दर्द को मिटाया तब मुझे कुछ दिल में शांति महसूस हुई।
ईश्वर सेवा वही है,जहां दिल कुछ अच्छा करने को प्रेरित करे।












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