झरगांव में नशामुक्ति का महासंकल्प: ग्राम पंचायत, स्व-सहायता समूह और ग्रामीणों ने मिलकर शराबबंदी अभियान को दिया व्यापक स्वर।

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झरगांव में नशामुक्ति का महासंकल्प: ग्राम पंचायत, स्व-सहायता समूह और ग्रामीणों ने मिलकर शराबबंदी अभियान को दिया व्यापक स्वर।

गरियाबंद । गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत झरगांव में नशामुक्ति एवं शराबबंदी को लेकर एक ऐतिहासिक पहल की गई, जिसने पूरे क्षेत्र में नई जागरूकता पैदा की है। ग्राम सभा अध्यक्ष श्रीमती शशिकला पाथर, सरपंच श्रीमती बेलमती, पंचायत प्रतिनिधियों, मितानिनों तथा स्व-सहायता समूह की बहनों ने एकजुट होकर गांव को नशे की बुराई से मुक्त करने का संकल्प लिया।

ग्राम पंचायत भवन प्रांगण में आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में बड़ी संख्या में गांव के महिला-पुरुष, युवा व बुजुर्ग शामिल हुए। बैठक में शराबबंदी के मुद्दे पर गहन विमर्श हुआ। ग्रामीणों ने खुलकर अपनी समस्याएं व अनुभव साझा किए—अत्यधिक शराब सेवन से बढ़ते पारिवारिक विवाद, आर्थिक नुकसान, घरेलू कलह, शिक्षा पर बुरा प्रभाव और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं पर चर्चा की गई।

बैठक के बाद पंचायत भवन से एक विशाल रैली निकाली गई, जिसमें “शराब छोड़ो – परिवार जोड़ो”, “नशा मुक्त गांव – खुशहाल गांव”, “नशा छोड़ो, जीवन संवारो” जैसे नारों के साथ पूरे गांव में जागरूकता फैलायी गई। रैली में महिलाओं, युवाओं और बच्चों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखने लायक रही।

ग्राम सभा अध्यक्ष ने जताई चिंता, उठाई सामूहिक जिम्मेदारी की बात •ग्राम सभा अध्यक्ष श्रीमती शशिकला पाथर ने कहा कि:
“गांव की शांति, समृद्धि और विकास के लिए शराबबंदी अत्यंत आवश्यक है। जब तक गांव में अवैध रूप से चल रही शराब निर्माण और बिक्री पर रोक नहीं लगेगी, नशामुक्ति अभियान पूरी तरह सफल नहीं हो सकेगा। हम सभी ग्रामीण इस अभियान को मिलकर सफल बनाएंगे। जरूरत पड़ने पर शासन-प्रशासन की सहायता भी ली जाएगी।”

उन्होंने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य किसी एक व्यक्ति या परिवार को रोकना नहीं, बल्कि पूरे गांव को एक सुरक्षित, स्वस्थ और सुखी समाज की ओर ले जाना है।

स्व-सहायता समूह एवं मितानिनों ने निभाई अग्रणी भूमिका

महिला स्व-सहायता समूह की बहनों और मितानिनों ने अभियान में विशेष भूमिका निभाई। सभा में महिलाओं ने कहा कि नशे के कारण कई परिवार टूट रहे हैं, बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और घरेलू हिंसा के मामले बढ़ते हैं। उन्होंने मिलकर नशे के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का संकल्प दोहराया।

गांव के वरिष्ठ नागरिकों ने दिया प्रशासनिक कार्रवाई का सुझाव

गांव के वरिष्ठ व गणमान्य नागरिक श्री कांतिलाल पाथर ने कहा कि:
“यदि जागरूकता अभियान से गांव में सकारात्मक बदलाव नहीं आता है, तो प्रशासनिक सहयोग लेकर शराबबंदी को कड़ाई से लागू कराया जाएगा। गांव को नशामुक्त बनाने के लिए सभी लोगों को आगे आना होगा।”

उन्होंने कहा कि नशा केवल व्यक्ति को नहीं, पूरे परिवार और समाज को प्रभावित करता है। इसलिए शराबबंदी अभियान को हर घर तक ले जाना आवश्यक है।

युवाओं ने लिया संकल्प, बच्चों ने दिए प्रेरक संदेश

अभियान में गांव के युवाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कई युवा स्वयं आगे आकर नशा न करने और दूसरों को भी नशा छोड़ने के लिए प्रेरित करने का संकल्प लेते दिखाई दिए।
बच्चों ने पोस्टर और स्लोगन के माध्यम से शराबबंदी का संदेश दिया—ये दृश्य पूरे अभियान की सबसे प्रेरक झलक बने।

गांव में बढ़ी उम्मीदें, नशामुक्ति की ओर मजबूत कदम

अभियान के बाद गांव में सकारात्मक माहौल देखने को मिला है। लोग अब नशे से होने वाले नुकसान के बारे में खुलकर बात कर रहे हैं और परिवारों में भी इस विषय पर चर्चा हो रही है।

ग्राम पंचायत झरगांव का यह प्रयास पूरे क्षेत्र और जिले के लिए एक उदाहरण बन रहा है। गांव के लोग आशा कर रहे हैं कि यह अभियान गांव की सामाजिक व आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा।

ग्राम पंचायत, स्व-सहायता समूहों, मितानिनों और ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास से झरगांव नशामुक्ति की दिशा में एक मजबूत और निर्णायक कदम बढ़ा चुका है।

यह पहल न केवल गांव के वर्तमान को सुधारने की क्षमता रखती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित कर सकती है।

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