
गरियाबंद जिले ग्राम भैसमुड़ी शासकीय माध्यमिक शाला में मध्यान्ह भोजन योजना में ना मेनू चार्ट, ना पौष्टिक भोजन — योजना तहत नहीं बन पा रहा है मध्यान्ह भोजन
गरियाबंद/गरियाबंद जिले मैनपुर विकास खंड के ग्राम पंचायत भैसमुड़ी स्थित शासकीय माध्यमिक शाला में संचालित मध्यान्ह भोजन योजना में गंभीर लापरवाही के संकेत मिले हैं। विद्यालय परिसर में न तो मेनू चार्ट प्रदर्शित किया गया है और न ही बच्चों को निर्धारित मेनू के अनुसार भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार, विद्यालय में भोजन व्यवस्था स्थानीय महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से संचालित की जा रही है। परंतु छात्रों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता और मेनू अनुपालन पर कोई ठोस निगरानी नहीं की जा रही है।
जब हमारे संवाददाता ने इस संबंध में विद्यालय के प्रधान पाठक से चर्चा करने का प्रयास किया, तो उन्होंने किसी भी प्रकार की जानकारी देने से साफ इंकार कर दिया। प्रधान पाठक का कहना था कि “उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार पत्रकारों को बयान देना वर्जित है।”
पत्रकारिता और पारदर्शिता की दृष्टि से यह रवैया चिंताजनक है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत प्रत्येक नागरिक को सूचना प्राप्त करने और सवाल करने का अधिकार प्राप्त है। ऐसे में शासकीय संस्था के जिम्मेदार अधिकारी द्वारा जानकारी देने से इंकार करना नैतिक एवं प्रशासनिक दायित्वों की अवहेलना के समान है।
विद्यालय में बच्चों को दिया जाने वाला भोजन शासन के मध्यान्ह भोजन योजना के तहत पौष्टिक और संतुलित आहार के रूप में होना चाहिए। किंतु वास्तविकता में यहां पर मेनू चार्ट न लगना और भोजन की गुणवत्ता पर सवाल उठना यह स्पष्ट करता है कि बच्चों के पोषण के अधिकार से समझौता किया जा रहा है।
ग्रामीण अभिभावकों का कहना है कि नियमों के अनुसार सप्ताह के अलग-अलग दिनों में सब्जी, खिचड़ी, आदि पौष्टिक व्यंजन अनिवार्य हैं।
यह मामला जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के संज्ञान में लाया जाना आवश्यक है ताकि मध्यान्ह भोजन योजना की वास्तविक स्थिति का मैदानी निरीक्षण किया जा सके और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही हो सके।
जनता और अभिभावकों की मांग है कि शासन बच्चों के हक़ के इस मुद्दे पर तत्परता से कदम उठाए ताकि मध्यान्ह भोजन योजना का मूल उद्देश्य — “हर बच्चे को पौष्टिक आहार” — सच्चे अर्थों में पूरा हो सके।












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